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छलिया नृत्य

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छलिया  नृत्य (जिसे छोलिया भी कहा जाता है)  उत्तराखंड  राज्य के कुमाऊं क्षेत्र का एक प्रचलित लोकनृत्य है। यह एक तलवार नृत्य है, जो प्रमुखतः शादी-बारातों या अन्य शुभ अवसरों पर किया जाता है। यह विशेष रूप से कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़, चम्पावत, बागेश्वर और अल्मोड़ा जिलों में लोकप्रिय है।

उत्तराखण्ड की संस्कृति (वेशभूषा)

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पारम्परिक रूप से उत्तराखण्ड की महिलाएं घाघरा तथा आंगड़ी, तथा पूरूष चूड़ीदार पजामा व कुर्ता पहनते थे। अब इनका स्थान पेटीकोट, ब्लाउज व साड़ी ने ले लिया है। जाड़ों (सर्दियों) में ऊनी कपड़ों का उपयोग होता है। विवाह आदि शुभ कार्यो के अवसर पर कई क्षेत्रों में अभी भी सनील का घाघरा पहनने की परम्परा है। गले में गलोबन्द, चर्‌यो, जै माला, नाक में नथ, कानों में कर्णफूल, कुण्डल पहनने की परम्परा है। सिर में शीषफूल, हाथों में सोने या चाँदी के पौंजी तथा पैरों में बिछुए, पायजब, पौंटा पहने जाते हैं। घर परिवार के समारोहों में ही आभूषण पहनने की परम्परा है। विवाहित औरत की पहचान गले में चरेऊ पहनने से होती है। विवाह इत्यादि शुभ अवसरों पर पिछौड़ा पहनने का भी यहाँ चलन आम है।

Pithoragarh City (Uttrakhand)

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All Features of Pithoragarh (Uttarakhand): 1. Pithoragarh is a rural area and has Villages and Cities 2. Pithoragarh is Faous for tourism  3. You can enjoy snow during December till March. 4.It has many forests which is responsible for fresh air. 5. Farming is one of the main occupation there. 6. It is not having a big population and not much pollution is there Pithoragarh is district which has two  countries border Nepal and Tibet (china). It's a small beautiful city (market)of Pithoragarh, Pithoragarh's main beautiful places to visit are,Munshyari ,Gangolihat,Patalbhuwneshwar,Chandak,Dharchula etc.